एनपीएस ने 13 महीने में दिया 19.5 फीसदी का रिटर्न-नई दिल्ली : जिन लोगों ने न्यू पेंशन स्कीम यानी एनपीएस में
निवेश किया है उन्हें 13 महीने में 19.5 फीसदी का जोरदार रिटर्न मिला है। इससे प्रॉविडेंट फंड के कुछ हिस्से को शेयर बाजार में लगाने की वित्त मंत्रालय की योजना को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद बंधी है। दरअसल, एनपीएस का मैनेजमेंट करने वाली 4 फर्मों ने 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है।
यूटीआई ने इस साल 30 जून तक अपने हिस्से के एनपीएस पर सबसे ज्यादा 24.6 फीसदी का रिटर्न दिया है। एनपीएस में निवेश करने वालों को अपने फंड के प्रबंधन के लिए 6 प्रबंधकों का विकल्प दिया गया है। एनपीएस की इक्विटी स्कीम में जमा फंड के 50 फीसदी तक का निवेश शेयर मार्केट में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि एनपीएस को साल 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया था। साल 2009 में इसको आम लोगों के लिए खोल दिया गया। एनपीएस निवेशकों को 6 प्रबंधकों का विकल्प दिया जाता है। ये फंड मैनेजर निवेशकों को तीन तरह के निवेश विकल्प देते हैं। इनमें इक्विटी (ई), कॉरपोरेट बॉन्ड (सी) और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (जी) शामिल हैं। कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश का चुनाव करने वालों को 13 महीने (1 मई 2009 से 30 जून 2010) में औसतन 9.93 फीसदी रिटर्न मिला है।
इसी तरह, बिना जोखिम वाले गवर्नमेंट सिक्योरिटीज ऑप्शन में निवेशकों को 6.75 फीसदी रिटर्न हासिल हुआ है। इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 45 फीसदी चढ़ा है। गौरतलब है कि एनपीएस में अब तक महज 12,000 निवेशकों ने पैसा लगाया है।
इधर, राज्यसभा के पूर्व महासचिव की अध्यक्षता वाले एनपीएस ट्रस्ट ने सरकारी कर्मचारियों के एनपीएस का प्रबंधन करने वाले फंड मैनेजरों के प्रदर्शन की समीक्षा की है। राज्य सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस निवेश पर पहले एक साल में 10.3 फीसदी का रिटर्न मिला है। मैनेजरों को उनके एनपीएस का फंड पिछले साल 25 जून को मिला था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस फंड पर औसतन 12 फीसदी का रिटर्न मिला है। सरकारी कर्मचारियों के पेंशन फंड की रकम का निवेश साल 2008 में वित्त मंत्रालय द्वारा गैर सरकारी प्रॉविडेंट फंड के लिए तय निवेश पैटर्न के हिसाब से किया जाता है। इसमें फंड में जमा रकम का 15 फीसदी तक निवेश शेयरों में किया जा सकता है।
एनपीएस में पैसा लगाने वालों की संख्या फिलहाल काफी कम है, लेकिन डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) लागू होने के बाद हालात में सुधार हो सकते हैं। एनपीएस को उन निवेश विकल्पों में शामिल किया गया है जिन पर निवेशकों को आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती का लाभ मिलेगा। प्रॉविडेंट फंडों को पहली बार साल 2005 में शेयरों में निवेश करने की इजाजत मिली थी, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के विरोध के चलते श्रम मंत्रालय को निवेश के नए नियम अपनाने पड़े। ईपीएफओ पर संगठित क्षेत्र के 5 करोड़ कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है। यह कंपनियों के पीएफ ट्रस्ट का रेगुलेशन भी करता है।
यूटीआई ने इस साल 30 जून तक अपने हिस्से के एनपीएस पर सबसे ज्यादा 24.6 फीसदी का रिटर्न दिया है। एनपीएस में निवेश करने वालों को अपने फंड के प्रबंधन के लिए 6 प्रबंधकों का विकल्प दिया गया है। एनपीएस की इक्विटी स्कीम में जमा फंड के 50 फीसदी तक का निवेश शेयर मार्केट में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि एनपीएस को साल 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया था। साल 2009 में इसको आम लोगों के लिए खोल दिया गया। एनपीएस निवेशकों को 6 प्रबंधकों का विकल्प दिया जाता है। ये फंड मैनेजर निवेशकों को तीन तरह के निवेश विकल्प देते हैं। इनमें इक्विटी (ई), कॉरपोरेट बॉन्ड (सी) और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (जी) शामिल हैं। कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश का चुनाव करने वालों को 13 महीने (1 मई 2009 से 30 जून 2010) में औसतन 9.93 फीसदी रिटर्न मिला है।
इसी तरह, बिना जोखिम वाले गवर्नमेंट सिक्योरिटीज ऑप्शन में निवेशकों को 6.75 फीसदी रिटर्न हासिल हुआ है। इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 45 फीसदी चढ़ा है। गौरतलब है कि एनपीएस में अब तक महज 12,000 निवेशकों ने पैसा लगाया है।
इधर, राज्यसभा के पूर्व महासचिव की अध्यक्षता वाले एनपीएस ट्रस्ट ने सरकारी कर्मचारियों के एनपीएस का प्रबंधन करने वाले फंड मैनेजरों के प्रदर्शन की समीक्षा की है। राज्य सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस निवेश पर पहले एक साल में 10.3 फीसदी का रिटर्न मिला है। मैनेजरों को उनके एनपीएस का फंड पिछले साल 25 जून को मिला था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस फंड पर औसतन 12 फीसदी का रिटर्न मिला है। सरकारी कर्मचारियों के पेंशन फंड की रकम का निवेश साल 2008 में वित्त मंत्रालय द्वारा गैर सरकारी प्रॉविडेंट फंड के लिए तय निवेश पैटर्न के हिसाब से किया जाता है। इसमें फंड में जमा रकम का 15 फीसदी तक निवेश शेयरों में किया जा सकता है।
एनपीएस में पैसा लगाने वालों की संख्या फिलहाल काफी कम है, लेकिन डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) लागू होने के बाद हालात में सुधार हो सकते हैं। एनपीएस को उन निवेश विकल्पों में शामिल किया गया है जिन पर निवेशकों को आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती का लाभ मिलेगा। प्रॉविडेंट फंडों को पहली बार साल 2005 में शेयरों में निवेश करने की इजाजत मिली थी, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के विरोध के चलते श्रम मंत्रालय को निवेश के नए नियम अपनाने पड़े। ईपीएफओ पर संगठित क्षेत्र के 5 करोड़ कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है। यह कंपनियों के पीएफ ट्रस्ट का रेगुलेशन भी करता है।